Thursday, 13 April 2017

भाषा का अन्त


भाषा की मृत्यु हो गई
इतिहास के पुष्पों से दी गई श्रद्धांजलि
दर्शाने उसका महान जीवन
वर्तमान था कफ़न
और भविष्य उसकी चिता
जिसके गर्भ में उसका अस्तित्व
था मात्र इतिहास की राख जैसा
जब उठी अर्थी
तो ना कोई चीख थी
ना आँसू बहाने वाले
थी तो बस कुछ पल की शान्ति
एक नये युग की शुरुआत
और जन्म किसी नई भाषा का

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