Friday, 14 April 2017

विश्राम



रुकना राही का काम नहीं
 चलो! अभी विश्राम नहीं

 मंजिल अब खड़ी पुकार रही
 बढ़ते जाओ, वह दूर सही
 जीवन है पग पग चलने में
 गिरने में और संभलने में
 जो भाग गया रणभूमि से
 अर्जुन फिर उसका नाम नहीं
 चलो!अभी विश्राम नहीं

 घर से आए तुम दूर निकल
 लेकर पैरों मे गति प्रबल
 हारा जो राहों से लड़कर
 मरकर वह राही रहा अमर
 तुम हार मान क्यों बैठ गए
 यह तो जीवन की शाम नहीं
 चलो! अभी विश्राम नहीं

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